Bull And Bear यानी तेजड़िया और मंदड़िया
स्टॉक एक्सचेंज में बुल को तेजड़िया व एवं बीयर को मंदड़िया भी कहा जाता है।
स्टॉक एक्सचेंज में सटोरियों को दो श्रेणियाँ होती है -
बुल एवं बीयर
जब भी बाजार में तेजी आती है तो अगले दिन सेंसेक्स के ग्राफ के साथ बैल (Bull)का चित्र दिखाया जाता है
और जब बाजार तेजी से गिरते हैं तो भालू (Bear) का चित्र दिखाया जाता है।
जब शेयर बाजार में तेजी हो और सूचकांक ऊपर जा रहे हो तो उसे बुल्लिश मार्किट कहते हैं.
जब सूचकांक गिर रहे हो तो उसे बेयरिश मार्किट कहते हैं.
यह नाम इन जानवरों के हमला करने के तरीके से पड़ा है । जब भी बैल हमला करता है तो वह अपने शिकार को नीचे से उठा कर उछाल-उछाल कर मारता है
इसलिए जब शेयर मार्केट में उछाल होता है तो इसे बुल मार्केट कहा जाता है।
जबकि भालू यानी बीयर हमेशा अपनी गर्दन नीचे झुका कर चलता है और शिकार को हमेशा पंजों से नीचे की ओर दबाता है। ।
कुछ ऐसा ही व्यवहार बाजार में तेजड़िए और मदड़िये भी करते हैं. इसीलिए इन जानवरों से बाजार के इन खिलाडियों की पहचान बनी.
बुल वह सटोरिया होता है जो किसी कंपनी के शेयरों के निकट भविष्य में भाव बढ़ने की उम्मीद के साथ उनको मौजूदा भाव पर खरीदता है,
ताकि वह उन्हें आगे ऊंची कीमत पर बेचकर मुनाफा कमा सके।
बीयर यानी मंदड़िये वह सटोरिये होते हैं जो किसी कंपनी के शेयर, उनके निकट भविष्य में भाव गिरने की आशंका में बेचते हैं।
मंदड़ियों की भूमिका भी शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव में मुख्य होती है।
बाजार में जब बिना किसी आधार के तेजड़िया गतिविधियां बढ़ जाती हैं तो किसी न किसी घोटाले की आशंका भी बढ़ जाती है। हर्षद मेहता के समय में बाजार पूरी तरह से तेजड़ियों के कब्जे में था।
बुल्लिश मार्किट में कमजोर शेयर भी ऊंची ऊंची कीमतों तक पहुँच जाते हैं ।
कई घटिया शेयर भी बहुत महंगे हो जाते हैं. हर तरफ लालच का माहौल बन जाता है।
दूसरी तरफ बेयरिश मार्किट में हर तरफ ख़ामोशी और निराशा छा जाती है. बड़ी बड़ी कंपनियों के शेयर औंधे मुंह गिरे होते हैं
निराशा के कारण कोई खरीददार नहीं मिलता. बाजार से निवेशक गायब हो जाते हैं. लोग पैसा लगाना नहीं चाहते।
इस प्रकार शेयर बाजार हमेशा investors के डर और लालच पर चलता है। बाज़ार में हमेशा या तो मंदी रहेगी या तेज़ी ।
स्टॉक एक्सचेंज में बुल को तेजड़िया व एवं बीयर को मंदड़िया भी कहा जाता है।
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Bull and Bear : Stock Exchange |
स्टॉक एक्सचेंज में सटोरियों को दो श्रेणियाँ होती है -
बुल एवं बीयर
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Bull and Bear : Stock Exchange |
जब भी बाजार में तेजी आती है तो अगले दिन सेंसेक्स के ग्राफ के साथ बैल (Bull)का चित्र दिखाया जाता है
और जब बाजार तेजी से गिरते हैं तो भालू (Bear) का चित्र दिखाया जाता है।
जब सूचकांक गिर रहे हो तो उसे बेयरिश मार्किट कहते हैं.
यह नाम इन जानवरों के हमला करने के तरीके से पड़ा है । जब भी बैल हमला करता है तो वह अपने शिकार को नीचे से उठा कर उछाल-उछाल कर मारता है
इसलिए जब शेयर मार्केट में उछाल होता है तो इसे बुल मार्केट कहा जाता है।
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Bull and Bear : Stock Exchange |
जबकि भालू यानी बीयर हमेशा अपनी गर्दन नीचे झुका कर चलता है और शिकार को हमेशा पंजों से नीचे की ओर दबाता है। ।
कुछ ऐसा ही व्यवहार बाजार में तेजड़िए और मदड़िये भी करते हैं. इसीलिए इन जानवरों से बाजार के इन खिलाडियों की पहचान बनी.
बुल वह सटोरिया होता है जो किसी कंपनी के शेयरों के निकट भविष्य में भाव बढ़ने की उम्मीद के साथ उनको मौजूदा भाव पर खरीदता है,
ताकि वह उन्हें आगे ऊंची कीमत पर बेचकर मुनाफा कमा सके।
बीयर यानी मंदड़िये वह सटोरिये होते हैं जो किसी कंपनी के शेयर, उनके निकट भविष्य में भाव गिरने की आशंका में बेचते हैं।
मंदड़ियों की भूमिका भी शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव में मुख्य होती है।
बाजार में जब बिना किसी आधार के तेजड़िया गतिविधियां बढ़ जाती हैं तो किसी न किसी घोटाले की आशंका भी बढ़ जाती है। हर्षद मेहता के समय में बाजार पूरी तरह से तेजड़ियों के कब्जे में था।
बुल्लिश मार्किट में कमजोर शेयर भी ऊंची ऊंची कीमतों तक पहुँच जाते हैं ।
कई घटिया शेयर भी बहुत महंगे हो जाते हैं. हर तरफ लालच का माहौल बन जाता है।
दूसरी तरफ बेयरिश मार्किट में हर तरफ ख़ामोशी और निराशा छा जाती है. बड़ी बड़ी कंपनियों के शेयर औंधे मुंह गिरे होते हैं
निराशा के कारण कोई खरीददार नहीं मिलता. बाजार से निवेशक गायब हो जाते हैं. लोग पैसा लगाना नहीं चाहते।
इस प्रकार शेयर बाजार हमेशा investors के डर और लालच पर चलता है। बाज़ार में हमेशा या तो मंदी रहेगी या तेज़ी ।
4 Comments
very nice shayari sir
ReplyDeleteThank you :)
DeleteNice
ReplyDeleteThanks for sharingthis ✔️ amazing post
nice article
ReplyDeletehttps://www.digitalearthtechnologychaitanya.in